Padma Shri Radhe Shyam Barle

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डॉ राधेश्याम बारले जी का जीवन परिचय

डॉ राधेश्याम बारले जी का जन्म स्थान को देखें तो राधेश्याम बारले जी का जन्म   9 अक्टूबर 1966 को छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले में पाटन तहसील के खुला नामक गांव में हुआ था।

Radhe Shyam Barle (born 9 October 1966)
is a Panthi folk dancer and artist.

Radhe Shyam Barle

Born

1966 (age 54–55) Khola village, Durg district, Chhattisgarh, India

Nationality

Indian

Nationality

Folk dancer

Awards

Padma Shri, (2021)

 कला के क्षेत्र में किसी का जीवन देखें——– तो राधेश्याम बारले को कला के क्षेत्र में सन 2021 को पद्मश्री आभूषण का सम्मान मिला, भारत के चौथे भारत सरकार द्वारा सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार पद्मश्री सम्मानित किया गया। राधेश्याम बारले जी ने गुरु घासीदास  की सामाजिक सेवा चेतना पुरस्कार देवदास बंजारे पुरस्कार कलासदन सम्मान डॉ भंवर सिंह सम्मान सामाजिक सद्भाव पुरस्कार और दाऊ महासिंह चंद्राकार पुरस्कार दलित उत्थान पुरस्कार जैसे विभिन्न पुरस्कारों से हैं।

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डॉ राधेश्याम बारले जी का। शिक्षा(EDUCATION) 

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राधेश्याम बारले जी का MBBS उसके साथ वह डिप्लोमा  और Folk From India Kala Sangeet Visgwavidlya Khairagarh ( इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय खैरागढ़ से किया)। डॉ राधेश्याम बारले ने पंथी नृत्य के जरिए बाबा गुरु घासीदास जी के संदेशों को देश-विदेश दुनिया में प्रसारित प्रसारित किया है गुरु घासीदास के संदेशों को प्रसारित करने में उनका अमूल्य योगदान रहा है। तो इसी के चलते डॉ राधेश्याम बारले  जी को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने राष्ट्रपति भवन में आयोजित समारोह में उन्हें पद्मश्री सम्मान से विभूषित किया  छत्तीसगढ़ के राज्यपाल   श्री अनुसुइया कोई के और मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल जी ने डॉक्टर बारले को पद्मश्री सम्मान के लिए चयनित होने पर बहुत-बहुत बधाई और शुभकामनाएं दिए।


 मुख्यमंत्री बारले को  दूरभाष पर बधाई देते हुए कहा कि डॉ बारले पंथी नित्य के माध्यम से बाबा गुरु घासीदास जी का संदेश को जन-जन तक पहुंचाते रहे हैं उन्होंने अपने कला साधना से छत्तीसगढ़ और देश को गौरवान्वित किया हैं।

 इसके पहले राष्ट्रपति ने और अनेक प्रमुख हस्तियों को वर्ष 2021 के पद्म पुरस्कार से सम्मानित किया इस वर्ष की सूची में 7 पद्म विभूषण 10 पदम भूषण और 102 पदम श्री पुरस्कार शामिल है।

 कार सुदर्शन साहू और पुरातत्व प्रोफेसर बृजबासी लाल और अन्य नागरिक सम्मान पदम पुरस्कार तीन श्रेणियों में प्रदान किए जाते हैं।

 कितने पुरस्कारों से सम्मानित- 
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तो चलिए दोस्तों हम पारले जी को पुरस्कार में कितने सम्मानित पुरस्कार मिले हैं उनको बताने जा रहे हैं, राधेश्याम बारले जी ने गुरु घासीदास सामाजिक चेतना के सत्ता के पास था को आगे बढ़ाते हुए की महिमा का बखान किया उसके लिए कला साधक सम्मान डॉ पवन सिंह दाऊ महासिंह चंद्राकर पुरस्कार और दलित उत्थान पुरस्कार जैसे अनेकों पुरस्कार है।

पंथी नृत्य——- 

बारले पंथी नृत्य के मशहूर  नर्तक  है  जिसके लिए उन्हें पद्मश्री सम्मान से प्रसिद्ध नवाजा किया गया, चलिए जानते हैं कि नित्य में आखिर होता क्या है इस नृत्य में सतनाम पंथ के प्रवर्तक बाबा गुरु घासीदास के जीवन और उनके उपदेशों का बखान गायन किया जाता है। इस नृत्य में एक मुख्य नागदा का होता है जो गायन की शुरुआत करता है फिर उनके साथ उनके बाकी साथी नृत्य और गायन करते हैं। 

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Padma Shri Radhe Shyam Barle 2021

डॉक्टर वाले मुख्य नर्तक होते हैं जो बाबा घासीदास के गायन और उस देश की शुरुआत करते हैं बाकी साथियों उनके नर्तक को दोहराते हुए बढ़ते हैं। चलिए बताते हैं कि इसे शुरुआत कैसे करते हैं, यह नित्य बहुत ही धीमी गति से शुरु करते हैं इसके साथ  मांदर के ताल भी बजाते हैं धीरे-धीरे गायन की शुरुआत करते हैं अंत में गायन खत्म होने से पहले नृत्य और गायन काफी तेज हो जाता है इस नृत्य में ईमानदार और उछाल बजाते हैं आपको पता होगा कि पंथी नित्य की हद प्रमुख वाद्य यंत्र है इस नृत्य में नर्तक अपने दोनों पैरों में घुंघरू बांध के हैं और नित्य करते हैं छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने डॉक्टर वाले को पद्मश्री सम्मान दिए जाने की घोषणा और दिए।

छत्तीसगढ़ में सतनाम पंथ का प्रवर्तक गुरु घासीदास ने 19वीं सदी में किया उन्होंने समकालीन समय में धर्म-कर्म में व्याप्त अंधविश्वास पाखंड एवं कुरीतियों के विरुद्ध सदाचार परस्पर भाईचारा के रूप में सतनाम पंथ का प्रवर्तन किया। व्यक्तिगत और व्यावहारिक सामूहिक आचरण के तहत इसे पाने के लिए उन्होंने नित्य शाम को संध्या आरती पंगत रंगत का आयोजन गांव-गांव रामव , रावटी लगाकर किया करते थे।

 मैं निरंतर इस व्यवस्था को कायम रखने के लिए पाटीदार सूचना अधिकारी और भंडारी चंदा अन्य सामग्री के प्रभारी अधिकारियों के रूप में नियुक्त किया एवं महंत जो संघ स्वरूप और प्रज्ञावान थे।

 पंथी नृत्य का  उद्भव..Padma Shri Radhe Syam Barle Panthi Dancer

 पंथ का अर्थ   मार्ग या रास्ता है, पर चलकर अभी स्थल तक पहुंच सके। इसी पंथ पर अनुस्वार लगाने से वापस हो जाता है , इस पर व्यक्ति का मन और विचार चलता है और धीरे-धीरे वह परंपरा और विरासत में परिणत होकर संस्कृति के स्थापित हो जाता हैं।   यही ही सतनाम पंथ की धार्मिक क्रिया व नित्य की पंथी नृत्य है।


 पंथी नित्य जो है वह सामूहिक होते हैं इनकी संख्या देखी तो लगभग 15 होती है जिसमें वादक भी सम्मिलित होते हैं। पंथी नृत्य दल प्राया सभी सतनामी ग्रामों में गठित हैं अनुयाई आरंभ में प्रतिदिन साईं कालीन काम या सतनाम का भवन के समीप एकत्र होकर पंथी नृत्य करते हैं जिसमें एक भाईचारा सत्यता छुपी रहती हैं।

 पंथी नित्य में होने वाले नाटकों में डॉक्टर रबाले महिला नर्तक का रूप धारण करते हैं डॉक्टर बारले के नाम ही यह रिकॉर्ड कायम है जिन्होंने देश के अलग-अलग चार राष्ट्रपतियों के समझ अपनी नृत्य कला का परिचय दिया दूरदर्शन और आकाशवाणी के कार्यक्रमों में डॉक्टर बारले को देखा और सुना जा सकता है। डॉक्टर वाले जीव भोरमदेव, खजुराहो और अन्य देशों में अलग-अलग जगहों पर होने वाले अनेकों महोत्सव में वह अपने नित्य करके लोगों का मन मोह लेते हैं, राज्य राष्ट्रीय स्तर की लगभग हर में उनका नित्य को देखा जा सकता है। पारले जी का नित्य नक्सल जैसे प्रभावित इलाकों में भी अपने नृत्य से भाईचारा और शांति का संदेश देते हैं साथ ही साथ युवाओं को हिंसा का जो मार्ग हैं उन्हें त्याग करके आपस में कुटुंब का संदेश पहुंचाते हैं।

अब तक हमारे छत्तीसगढ़ में मिल चुका है सम्मान-Chhattishgarh Padma Shri 

चलिए दोस्तों जानते हैं कि अब तक कितने ऐसे महान हस्ती हैं जिसे पद्मश्री से नवाजा गया है। तीजन बाई, डॉक्टर बृजेंद्र नाथ मुखर्जी, पंडित मुकुटधर पांडे जो बहुत ही मशहूर कवि हैं, राजमोहिनी देवी,  हबीब तनवीर, गणेश बापट, फूलबासन बाई यादव, शेखर सेन,  सबा अंजुम मासो हॉकी  खिलाड़ी है। ममता चंद्राकर,  अनुज शर्मा  महान हस्तियों को पद्मश्री से सम्मानित किया जा चुका है और अभी हाल ही में सन 2021 में डॉ राधेश्याम बाहर ले जी को पद्मश्री से नवाजा गया है।  हमें गर्व है कि डॉक्टर वाले को पद्मश्री आभूषण से संवारा गया और हमारे छत्तीसगढ़ को गर्व है ऐसे नर्तक पर जो हमारे राज्य में ही नहीं बल्कि देश विदेश में 70 नाम का और भाईचारा को बढ़ावा दे रहे हैं नित्य कला के माध्यम से तक धर्म अधर्म का जो अंधविश्वास है उनको मिटा रहे हैं।


आपको बता दें कि डॉक्टर बार लेजी देश-विदेश में लोगों को इनका प्रशिक्षण भी दिया करते हैं बारले जी ने गुरु घासीदास के संदेशों को सभी जगह पहुंचाने के साथ-साथ दुनिया के अलग-अलग देशों के कलाकारों को पंथी नृत्य की ट्रेनिंग भी दिए हैं। अमेरिका और मास्को जैसे देशों की कलाकारों को डॉक्टर बार लेने पंथी नित्य जान अवगत कराएं हैं और उन्हें छत्तीसगढ़ की कला और संस्कृति से  परिचय कराएं हैं।

 अगर हमें आगे कुछ करना है हमारे देश के लिए और हमारे राज्य हमारे कंट्री के लिए एक बार नहीं हजारों बार कोशिश करनी पड़ती है और जिसने कोशिश करना नहीं छोड़ा वही लोग आज इतिहास के पन्नों में अपना नाम करते हैं और देश  गर्व से  ऊंचा उठाते हैं।

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