Bhunal The Maze Download

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 Bhulan The Maze पहली छत्तीसगढ़ी फिल्म है जिसे क्षेत्रीय फिल्मों में नेशनल  अवार्ड National Award मिला हैं।   इश्  फिल्म के डायरेक्टर एवं प्रोड्यूसर श्री मनोज वर्मा Manoj Verma जी हैं।

 67वी  राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार बुलंद अमेज बेस्ट छत्तीसगढ़ी फिल्म अवार्ड  मिला। 

 भुलन एक उपन्यास है, जिसको पदुमलाल पुन्नालाल के बेटे संजीव बक्शी जी का   उपन्यास हैं, जिसका नाम है भूलन कांदा इसके ऊपर या फिल्म बना है।

BHULAN THE MAZE भूलन द मेज

 BHULAN THE MAZE भूलन द मेज

 संजीव बक्शी जी की इस कहानी में बताएं कि यह एक पौधा हैं, जिसके ऊपर अगर पैर पड़ जाए तो रास्ता भूल जाते हैं।तो यहीं से ही इस फिल्म की शुरुआत हुआ।

 The Bhulan Maze के निर्माता हैं श्री मनोज वर्मा जिसको रजत पुरस्कार दिया गया।

 यह फिल्म ने   ना केवल छत्तीसगढ़ में ही चला बल्कि देश विदेश में भी यह फिल्म पहुंच गया है। तो चलिए दोस्तों बताते हैं कि इस फिल्म के निर्माता मनोज और मां के बारे में, वर्मा कांकेर के रहने वालों बताते हैं कि उनके दादाजी और उनके पिताजी कांकेर में रहते थे और उनके पिताजी एक उत्तर थी इसलिए उसका ट्रांसफर रायपुर में हुआ तो वह मनोज जी का जन्म रायपुर स्थल में हुआ। इनके शिक्षा की बात करें तो उन्होंने  में MA Economy शिक्षा प्राप्त किए हैं।

 यह फिल्म को मनोज जी ने गरियाबंद से 30 किलोमीटर दूर मोआभाटा में  इनका  शूटिंग हुआ। करीबन 20 दिन वहां शूटिंग हुआ फिर 10 दिन रायपुर में शूट किए, एक दिल है समय चालू नहीं हुआ था वहां पर 3 दिन तक शूटिंग की है इस तरह से या फिल्म अलग-अलग स्थानों में शूटिंग किए और इसमें जो कलाकार है वह कलाकार मुंबई से 5 कलाकार है काफी रेनवाल  Renavald Artist आर्टिस्ट है. मुकेश तिवारी जी, राजेंद्र गुप्ता जी अपने छत्तीसगढ़ के अशोक मिश्रा जी हैं जो एक बड़े Writter  हैं।

 श्याम भाई कल के लिए उन्होंने काफी फिल्में लिखी है।

  मानिक राम  मानिस पुरी जो  Pilli लाइफ में   नथथा  बने थे और अनीमा पंगारे यह पांच लोग जो हैं यह मुंबई से थे।

 बाकी सारे आर्टिस्ट जो थे वह छत्तीसगढ़ से थे इनमें पुरुषोत्तम से हैं, अनुराधा जी, आशीष, सलीम अंसारी जी है जिन्होंने बहुत ही कमाल के काम किए इस फिल्म में। संजय महानंद है, हेमलाल जी हैं, सुरेश ऐसे बहुत से आर्टिस्ट(Artist) है जो छत्तीसगढ़ से ही हैं  तो लगभग 60 से 70 आर्टिस्ट(Artist) छत्तीसगढ़ के ही थे।

 खासियत तो यह था कि  7-8 लोग वहां के काम किए और वह पेड़ आर्टिस्(Artist) थे।

 यह फिल्म कल्याण का बहुत बड़ा कदम है। मनोज जी बताएं कि  उन्होंने  इस फिल्म को सबसे पहले उन्होंने लगाया था कोलकाता की Naje अंतरराष्ट्रीय फिल्म फेस्टिवल मे(Naje Intrnations Film Festival)  जहां उसे सो के सिनेमा अवार्ड से नवाजा गया।

 और फिर के लॉन्ग जैसी जगह में जहां लोग हिंदी को ठीक से नहीं समझते वहां यह हमारे छत्तीसगढ़ी फिल्मों को बहुत ही अच्छा प्रतिसाद मिला यह देखकर हमें बहुत गर्व है कि हमारी छत्तीसगढ़ी होली जो लोगों को धो लेते हैं और आज देश-विदेश में विरोधी कार में है और अपने नाम बढ़ा रहे हैं।

 उसके बाद इस फिल्म Californiyan में 2 अवाडी(Award )मिला।

1- Award of  Ratiognations  जिसमें एक Indefiden Festival  और दूसरा Acorade Film Festival , इसके अलावा इटली का एक Madif Film Festival  जिसको Madetiriun Film Festival  भी कहते हैं।

 वहां पे ये फिलम Official Selection  मैं गई और  ये RIF (Raipur Indian Festival )  का  लोगो ने इस फिल्म को बहुत ही पसंद आई।

 फिल्म सामाजिक और न्याय व्यवस्था के अंतर पर आधारित है। छत्तीसगढ़ में हपॉर्नहब भूलन कांदा पर यदि किसी व्यक्ति का पैर पड़ जाए तो वह रास्ता भटक जाता है, वह तब तक भटकता रहता है जब तक कि कोई उसे छू कर जगाना दे।

 इस फिल्म में संदेश दिया गया है कि क्या हमारी न्याय व्यवस्था का पैर भी बुलंद कांदा पर पड़ गया है और क्या उसे छूकर जगाने की जरूरत है।

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